Tuesday 15 August 2017

हमेशा राजनीति को दोष देकर हम किसी वैचारिक उद्यम से बच जाते हैं पर सच यह है कि बीते 70 साल में हमारी नागरिकता ने भी कई बार संविधान की आत्मा के साथ धोखा किया है