Our Surrounding
Think for society ,Think for Humanity,Think for Nature
Tuesday 15 August 2017
हमेशा राजनीति को दोष देकर हम किसी वैचारिक उद्यम से बच जाते हैं पर सच यह है कि बीते 70 साल में हमारी नागरिकता ने भी कई बार संविधान की आत्मा के साथ धोखा किया है
https://satyagrah.scroll.in/article/109006/are-we-failing-as-a-citizen
Friday 15 May 2015
वैचारिक क्रांति की जरुरत
हमारे समाज में अब बैचारिक क्रांति की जरुरत है
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)